Monday, November 23, 2009

जरूरत है एक मनोवैज्ञानिक तरीके की .....

जी हाँ , इंग्लिश सिखने के लिए बस एक मनोवैज्ञानिक तरीके की जरूरत है जो की अंग्रेजी को सिखने वाले के अंदाज में पेश करें , और वही मैंने किया है ....."इंग्लिश अब हिन्दी में "

Friday, November 13, 2009

इंग्लिश सिखने के लियें क्या करें .....

इंग्लिश सिखने के लियें क्या करें .....
मै यहाँ पर यह बताना चाहता हूँ की अंग्रेजी सिखने के लियें क्या करना चाहियें क्योंकि ये भी सत्य है की हम हिंदुस्तान में रहते है और हमरी मात्र भाषा हिन्दी है और अभी तक हम बड़े भी हिन्दी इनवायरमेंट में हुएं हैं ..................
इंग्लिश (कोई भी भाषा )किसी भी व्यक्ति(हिन्दुस्तानी) को सिर्फ़ दो तरीको से सिखाई जा सकती है
१। या तो उस व्यक्ति का दिमाग इतना छोटा कर दिया जायें जितना की एक नवजात शिशु का होता है और फिर उसे साल भर या दो साल तक साथ में रखा जायें तो वह इंग्लिश क्या जपनिस भी सिख जायेगा , पर यह
प्रेक्टिकली सम्भव नही है ............ तो फिर क्या किया जाएँ ..........
२। दूसरा तरीका यह है की उस व्यक्ति को इंग्लिश उसी इन्वायरमेंट में इंग्लिश सिखाये जायें जिसमे वो बचपन से लेकर अभी तक बड़ा हुआ है मतलब हिन्दुस्तानी व्यक्ति को हिन्दी में ......
और मैंने ये दूसरा तरीका बड़ा ही कारगर पाया है और बड़े लोगो के आर्शीवाद से एक छोटी से पहल की है जिसका नाम "इंग्लिश अब हिन्दी में " है ।
जरूर एक बार वेबसाइट पर जाईयें और अपने कमेन्ट जरूर दीजियें ....
www.englishabhindime.com

क्या हम अंग्रेजी सिखने से अंग्रेज बन जायेंगे ....

क्या हम अंग्रेजी सिखने से अंग्रेज बन जायेंगे ....
नही ऐसा नही है , वैश्विक स्तर की भाषा होने के कारण अंग्रेजी का ज्ञान होना बहूत जरूरी है । इस वस्तिविकता को जानते हुए भी कुछ परम्परावादी लोग इसे सिखने में हिचक महसूस करते है,
ऐसा मुझे महसूस हुआ कई बार ..... पर मै उन्हें ये बताना चाहता हूँ की अंग्रेजी सिखने से कोई अंग्रेज नही बन जाता जब तक हम वहा की संस्कृति को न अपनायें.